19 June, 2018

विदेश की धरती पर कवि गोष्ठी

16 जून 2018 को फ्रीमोंट कैलिफ़ोर्निया में अखिल विश्व हिंदी ज्योति की एक रंगारंग गोष्ठी संपन्न हुई। गोष्ठी में आदरणीय डॉ. जगदीश व्योम एवं उनका परिवार, आदरणीय राजेश राज जी, उनकी पत्नी, ग़ज़ल गायक डॉ. रोशन भारती, आई. सी. सी. के दिनेश शर्मा, संस्था की अध्यक्ष नीलू गुप्ता जी तथा उपाध्यक्ष मंजु मिश्रा के साथ-साथ विश्व हिंदी न्यास के एवं अखिल विश्व हिंदी ज्योति के माननीय सदस्यों की उपस्थिति में कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. व्योम ने दीप जला कर किया, सस्वर वंदना पाठ संस्था की वरिष्ठ सदस्या आदरणीय शकुंतला बहादुर जी के साथ अतिथियों एवं संस्था के सभी सदस्यों ने मिल कर किया।

सर्व प्रथम अतिथियों एवं सदस्यों के परिचय का आदान-प्रदान हुआ उसके बाद डॉ. जगदीश व्योम ने हाइकु कविता के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हाइकु कोई छंद नहीं है हाइकु अपने आप में एक सम्पूर्ण कविता है, कुछ लोग भ्रमवश हाइकु को छन्द कहने लगते हैं यह उचित नहीं है, हाइकु सम्पूर्ण कविता है, दुनिया की सबसे छोटे आकार की कविता। हाइकू लिखना जितना सरल लगता है वास्तव में हाइकु लिखना बहुत उतना ही कठिन है, उन्होंने हाइकू दर्पण और हाइकु कोश के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि "हाइकु कोश" का कार्य वे विगत कई वर्षों से कर रहे हैं जो लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है, इसमें अब तक के लिखे गये लगभग सभी अच्छे हाइकु लिए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हाइकू दर्पण पत्रिका का का प्रवासी भारतीयों का एक अंक पहले निकल चुका है जिसमे काफी प्रवासी हाइकुकार थे, अब हाइकु दर्पण का आगामी अंक प्रवासी भारतीयों की हाइकु कविताओं पर केन्द्रित अंक प्रकाशित करने की योजना है और वे चाहते हैं कि इस बार जो अंक निकले उसमे और नए लोग भी जुड़ें।

 डा० व्योम ने "नवगीत 2013" तथा "भारतीय बच्चों के के हाइकु" की प्रतियाँ संस्था की अध्यक्ष श्रीमती नीलू गुप्ता को भेंट की।






डॉ. व्योम ने अपने कुछ हाइकु, गीत एवं नवगीत और दोहे सुनाये। राजेश राज जी ने बहुत ही सुन्दर गीत सुनाये। डॉ. रोशन दिनेश शर्मा, सुनीता माथुर नारायण, दामिनी शर्मा ने गज़ले सुनायीं. नीलू गुप्ता जी, चन्द्रिका जी ने हाइकु सुनाये, शकुंतला बहादुर जी, डी एन्जा की हिंदी विद्यार्थी तान्या बलूजा, तारा दुबे, अर्चना पांडा एवं मंजु मिश्रा ने भी रचना पाठ किया। कुल मिला कर एक बहुत ही यादगार शाम रही. अलका मदान जी ने एक बहुत ही अच्छी और गहरी बात कही कि " जैसा तुम सुनाओ, वैसा ही कोई सुने, ऐसा ऐसे ही नहीं होता" ये बात बिलकुल सही है कि अच्छी महिफल के लिए जितने महत्त्वपूर्ण अच्छा सुनाने वाले होते हैं उतना ही अच्छा सुनने वाले भी। अच्छे श्रोताओं के बिना महफ़िल सम्पूर्ण नहीं होती।

गोष्ठी में नीलू गुप्ता जी के सद्यःप्रकाशित हाइकु संग्रह "गगन उजियारा" का विमोचन भी किया गया।


गोष्ठी में उपस्थित अखिल विश्व हिंदी ज्योति एवं विश्व हिंदी न्यास के सभी सदस्यों का धन्यवाद, जो किसी कारणवश नहीं आ सके उनसे अनुरोध कि अगली बार अवश्य समय निकालें और हमारे साथ हिंदी के उत्सव में शामिल हों।
प्रस्तुति-

-मंजु मिश्रा
उपाध्यक्ष
अखिल विश्व हिन्दी ज्योति, फ्रीमोंट, केलिफोर्नियाँ





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