26 February, 2013

विवेकनिधि की पुस्तक "मेरे प्यारे वतन" का लोकार्पण

[ उमाशंकर दीक्षित, लक्ष्मीचन्द मयंक, सन्तोष कुमार सिंह, विवेकनिधि ]

डा0 के उमराव विवेकनिधि की पुस्तक ‘मेरे प्यारे वतन का लोकापर्ण आर0बी0एस नेशनल पब्लिक स्कूल, सारंग विहार, मथुरा में साहित्यक सामाजिक सांस्कृतिक एवं शोध संस्थान कलांजलि के स्थापना दिवस पर सम्पन्न हुआ।  मुख्य अतिथि डा0 सन्तशरण शर्मा ‘सन्त’  ने पुस्तक का लोकार्पण किया। सन्तोष कुमार सिंह ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि डा0 विवेकनिधि का काव्य कौशल अनूठा है। 158 पृष्ठ के इस काव्य संग्रह में 125 कवितायें संग्रहीत हैं। 
लोकार्पण के बाद कवियों ने काव्यपाठ भी किया। काव्यपाठ करने वालों में लक्ष्मीचन्द मयंक, मदन मोहन शर्मा अरविन्द, सतोष कुमार सिंह, विवेकनिधि,  जितेन्द्र विमल, डॉ सन्त शरण शर्मा, मधु सारस्वत एवं कुन्ज बिहारी प्रमुख थे।  कार्यक्रम की अध्यक्षता जमुनाजल पत्रिका के सम्पादक  उमाशंकर दीक्षित ने की। 



[ पुस्तक का लोकार्पण करते हुए जमुनाजल के सम्पादक श्री उमाशंकर दीक्षित, श्री लक्ष्मीचन्द मयंक, श्री सन्तोष कुमार सिंह,श्री विवेकनिधि ]

17 February, 2013

दो पुस्तकें लोकार्पित

 सन्तोष कुमार सिंह की दो पुस्तकें लोकार्पित 



कवि एवं बाल साहित्यकार सन्तोष कुमार सिंह की दो पुस्तकों - "जड़ी-बूटी चिकित्सा शतक" तथा ‘फिसला पैर गिरा हाथी’’ पुस्तकों का लोकार्पण आलोक पब्लिक स्कूल, पंचवटी कालौनी, मथुरा के सभागार में हुआ। मुख्य अतिथि डा० अशोक अग्रवाल, बाल रोग विशेषज्ञ एवं नेता समाजवदी पार्टी, अध्यक्ष सत्येन्दु याज्ञवल्क्य, एवं विशिष्ट अतिथि डा० वी०डी० गौतम, प्रबन्धक, मथुरा रिफाइनरी द्वारा दीप प्रज्ज्वलित और माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इसी क्रम में डा० अनिल गहलौत ने स्व० आलोक प्रताप सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
 पुस्तक लोकार्पित करने के पश्चात डा० अशोक अग्रवाल ने कहा कि जड़ी-बूटी चिकित्सा शतक पुस्तक को मैंने पढ़ कर देखा हैं। इसमें लोक कल्याणकारी जानकारी दी गई है। तमाम जड़ी-बूटियाँ गाँवों में मिलती हैं परन्तु उनके उपयोग की जानकारी न होने से लोग छोटे-छोटे इलाज के लिए शहर भागते हैं। यह पुस्तक घरेलू चिकित्सा के लिहाज से अत्यन्त ही उपयोगी है।
‘जड़ी-बूटी चिकित्सा शतक’ पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए डा० रामनिवास शर्मा अधीर ने बताया कि सन्तोष कुमार सिंह ने इस पुस्तक में 64 जडी - बूटियों की जानकारी  घरलू उपचार हेतु 501 दोहों में बहुत दी है यह एक अनूठी पुस्तक है। दूसरी पुसतक ‘ फिसला पैर गिरा हाथी’ बाल कविताओं की’ पुस्तक है जिसकी समीक्षा मदनमोहन शर्मा ‘अरविन्द ने उपस्थित साहित्यकारों और साहित्य प्रमियों के समक्ष प्रस्तुत की।
कार्यक्रम के अगले चरण में नगर के तीन विद्वान साहित्यकारों का सम्मान ‘आलोक प्रताप सिंह मैमोरियल शैक्षणिक एवं सॉस्कृतिक समिति की ओर से, प्रबन्धक जितेन्द्रसिंह सेंगर एवं मुख्य अतिथि द्वारा शाल उढ़ाकर, नारियल एवं सम्मान पत्र भेंट कर किया। सम्मानित साहित्यकारों के नाम क्रमशः डा० अनिल गहलौत, डा० रामनिवास शर्मा अधीर तथा श्री महेन्द्र सक्सैना हुमा हैं।

कार्यक्रम के अन्तिम सत्र में कवि सम्मेलन का शुभारम्भ अशोक अज्ञ ने माँ शारदे की वन्दना पढ़ कर किया। तत्पश्चात कवितापाठ करते हुए कहा -
जो बेरहम हों उन पर करम किसलिए करूँ।
उनकी सजाए मौत पर गम किसलिए करूँ।।
कवयित्री सुधा अरोड़ा ने अपनी प्रिय की खोज को इंगित करते हुए रचना यूँ पढ़ी -
तुझे ढूँढा है पतझर में तुझे ढूँढा है बहारों में।
तुझे ढूँढा है मैंने चाँद के रंगी नजारों में।
सुधा पूछती फिरती पता दे दो मुझे उनका,
वे छुपे बैठे मिले हृदय वीणा के तारों में।।
इसके बाद मदन मोहन अरविन्द ने एक गीत और एक गजल में अपने उद्गार यों व्यक्त किए -
जुर्म है पर किया कीजिए।
दो घड़ी हँस लिया कीजिए।।
अनुपम गौतम ने भ्रूण हत्या को जघन्य अपराध बताते हुए बिटियों के लिए मार्मिक कविता पढ़ी -
माँ मुझे मत मार, मैं भी बाग बाग बगीचा देख लूँगी।
डा० के०उमराव विवेकनिधि ने बसन्त ऋतु के आगमन का स्वागत करते हुए अपने उदगार यूँ व्यक्त किए -
ऋतृ बसन्त आ गया, नृप बसन्त आ गया।
हर कोई कह रहा है ठौर-ठौर छा गया।।
कवि लक्ष्मीचंद मयंक ने मुक्तक सुनाते हुए कहा-
भारत स्वतंत्रता की अमर कहानी भई,
कि उपहास मति याहि ठुकराऔ जी।
 कवि शैलेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने सस्वर मार्मिक गीत पढ़कर श्रोताओं की वाह-वाही लूटी -
रेत सी सूनी जिन्दगानी है।
आपकी मगर मेहरवानी है।।
हास्य व्यंग्य के कवि सन्तोष कुमार सिंह ने मिलावटखोरों पर कटाक्ष करते हुए हास्य-व्यंग्य रचना पढ़कर वाहवाही लूटी -
डर नहीं लगता चोरों से, डर नहीं लगता सूदखोरों से।
लेकिन हर वक्त डरने लगा हूँ, इन मक्कार मिलावटखोरों से।।
गजलकार डा० अनिल गहलौत ने बहुत ही अच्छी गजल पढ़कर श्रोताओं का दिल जीता -
खड़ी है फौज भ्रष्टाचारियों की, इससे लड़ने को,
हजारों चाहिए अब तो अन्ना हजारे भी।
डा० धर्मराज ने अपनी भावनायें इस तरह उकेरीं -
आज मेरे सीने पर जो वार उसका था।
हथियार मेरा था पर हाथ उसका था।।
मंचासीन डा० अधीर एवं महेन्द्र सक्सैना हुमा ने अपनी-अपनी बेहतरीन गजलें सुनाकर श्रोताओं की तालियाँ बटोरीं।
इनके अतिरिक्त वृन्दावन से पधारे मोहन मोही, रविन्द्रपाल रसिक, कवि नीरज शास्त्री, सत्येन्दु याज्ञवल्क्य, मनुज भारत, डा० सन्त शरण शर्मा, डा० धरम राज, टीकेन्द्र शाद, लाखनसिंह हलचल, अमित कुमार अदभुत, मूलचन्द शर्मा‘निर्मल’, तरूण चौधरी, डा० यागेश कुमार निर्भीक, अजय प्रताप, कुंज विहारी, जितेन्द्र विमल तथा अन्य कवियों ने भी कवितायें प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोहा। इस कार्यक्रम में ब्रजभूषण वर्मा, डा० महेन्द्रसिंह, सुन्दरसिंह चौहान, तेजपालसिंह सेंगर, डा० जी०के०सिंह, कैप्टेन बहादुर सिंह, ओमवीरसिंह सिकरवार, चौ० जितेन्द्रकुमार, श्रीमती चन्द्रा, टिंकी, कुसुम सक्सैना, प्रियंका सक्सैना, चन्दन साह तथा स्कूल की शिक्षिकायें एवं छात्र-छात्रायें भी मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन जितेन्द्र सिंह सेंगर ने तथा संचालन अनुपम गौतम ने किया

 प्रस्तुति-
सन्तोष कुमार सिंह